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तराना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

दूर अज्ञान के हो अँधेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहें हम
जितनी भी दे भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसी का किसी से
भावना मन में बदले की हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बांटे सभी को
सबका जीवन ही बन जाय मघुबन
अपनी करुणा को जल तू बहा के
करदे पावन हर एक मन का कोना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

एक परिचय

शिक्षा के क्षेत्र में यह इलाका गरीबी, लाचारी और अशिक्षा के कारण काफी पिछड़ा था। आम व्यक्तियों के बच्चे दूर-दूर तक कोई विद्यालय न होने के कारण शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाते थे तथा इन तमाम दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुये बीसवीं सदी के तीसरे दशक में डुमरियागंज तहसील में स्थित कादिराबाद के प्रतिष्ठित मलिक खानदान के लोगों ने अपने मुखिया जनाब मलिक शफाअत हुसैन, आनरेरी मजिस्ट्रेट (मरहूम) के नेतृत्व में इस क्षेत्र में सन् 1940 में मकतब तथा जुलाई, 1964 में मौलाना आज़ाद जूनियर हाई स्कूल, सखावतगंज-कादिराबाद की बुनियाद डाली गयी थी इस नेक काम में जनाब मलिक अल्ताफ हुसैन साहब(मरहूम), जनाब मलिक मुश्ताक हुसैन साहब, आनरेरी मजिस्ट्रेट (मरहूम), जनाब मलिक हामिद हुसैन साहब, एडवोकेट (मरहूम), जनाब हाजी मलिक मोहम्मद यूसुफ साहब, जनाब मलिक इस्तकामत हुसैन साहब(मरहूम), वरिष्ठ वकील, लेखक, पत्रकार , पूर्व विधायक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी काज़ी मोहम्मद अदील अब्बासी साहब(मरहूम) एवं पूर्व सांसद, पूर्व राज्यमंत्री उ0प्र0. एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी काजी जलील अब्बासी साहब (मरहूम) के राय-मशविरे व योगदान को भुलाया नही जा सकता। सन् 1940 में मोहतरम शाह नियाज़ अहमद शाह फैज़ाबादी (मरहूम) की दुआओं के फलस्वरूप जो पौधा एक मकतब के रूप में लगाया गया था उसने परवान चढ़ कर इण्टरमीडिएट कालेज की शक्ल में आज तालीमी दुनिया में नाम रोशन कर रहा है, जहां आज लगभग 2000 छात्र/छात्रायें शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिसकी नयी शक्ल मौलाना आजाद पी.जी. कालेज, बायताल-कादिराबाद के रूप में इलाके में तालीमी जरूरतों को पूरा कर रहा है। अपने पूर्वजों की इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुये मलिक खानदान की नयी पीढ़ी पूर्व मंत्री व विधायक जनाब मलिक मोहम्मद कमाल यूसुफ साहब के नेतृत्व में शिक्षा को आन्दोलन का रूप दे रहे हैं जिसमें पूर्व प्रबंधक जनाब मलिक मुश्ताक हुसैन साहब, आनरेरी मजिस्ट्रेट (मरहूम)जनाब हाजी मलिक मोहम्मद यूसुफ साहब का पूर्ण समर्थन एवं विश्वास मिला। मौलाना आज़ाद महाविद्यालय, बायताल-कादिराबाद की स्थापना के साथ-साथ इस क्षेत्र में अध्यापन एवं अध्ययन की प्रक्रिया को एक नये शिखर पर पहुंचा दिया है । महाविद्यालय ने सन् 1999 में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय,गोरखपुर से सम्बद्धता प्राप्त कर एक अल्पसंख्यक एवं स्ववित्त पोषित इस महाविद्यालय को सन् 2000 में कला संकाय (बी.ए.) की स्वीकृति मिली। इसी तरह इस महाविद्यालय को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने अपने अध्ययन केन्द्रके तौर पर चुना। इसके अलावा में सन् 2008 में विज्ञान संकाय (बी.एस.सी.), शिक्षा संकाय (बी.एड.), सन् 2005 में एम.ए (शिक्षाशास्त्र, उर्दू) तथा. डी.एल.एड. -(बी.टी.सी.) की स्वीकृति मिली। सन्न् 1995 मे डा. राम मनोहर लोहिया कन्या इण्टर कालेज, सरसिया एवं सन् 2004 में चौधरी चरण सिंह कन्या इण्टर कालेज, बायताल-कादिराबाद की स्थापना हुयी जिसमें सत्र 2015-16 से कक्षा छः से 12वीं तक के छात्र,/ छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रारम्भ है जहां पर लगभग 1000 छात्र/छात्रायें शिक्षाप्राप्त कर रहे हैं। जनाब मलिक मोहम्मद कमाल यूसुफ साहब के शब्दों में कहें तो ” वह सपना जो जनाब मलिक शफाअत हुसैन, आनरेरी मजिस्ट्रेट (मरहूम) के नेतृत्व में जनाब मलिक अल्ताफ हुसैन साहब (मरहूम), जनाब मलिक मुश्ताक हुसैन साहब, आनरेरी मजिस्ट्रेट (मरहूम), जनाब मलिक हामिद हुसैन साहब, एडवोकेट(मरहूम), जनाब मलिक इस्तकामत हुसैन साहब (मरहूम)ने अपने जीते-जी देखा था, उसके बाद जनाब हाजी मलिक मोहम्मद यूसुफ साहब के नेतृत्व में इसको बढ़ाना हमारा फर्ज भी है और इलाके का हम पर कर्ज भी है। इस नेक काम में माननीय मुलायम सिंह यादव, पूर्व रक्षा मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री, जनाब मोहम्मद आजम खां साहब, कैबिनेट मंत्री उ.प्र. सरकार, पूर्व गर्वनर कर्नाटक एवं पूर्व कृषि मंत्री भारत सरकार स्वर्गीय भानू प्रताप सिंह, पद्म श्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे साहब (जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) एवं डा. यूपी. सिंह साहब के हम दिल से आभारी हैं जिन्होंने इन संस्थाओं को समय-समय पर पूरी सहायता एवं समर्थन दिया। यह शिक्षण संस्थायें बराबर तरक्की की राह पर अग्रसर हैं। प्रबंधन से जुड़े तमाम लोगों का यह प्रयास है कि तरक्की के युग में तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता है और इसे पूरा किया जाय ताकि कम खर्च पर इस इलाके के छात्र/छात्राओं को अच्छी शिक्षा उपलब्ध हो सके।